युवा इंजीनियरिंग में बनाएं करियर।

इंजीनियरिंग में स्कोप -  देश के विकास की बुनियाद इंजीनियरिंग से ही होती है। सड़क, इमारतें, पुल आदि ये सब इंजीनियरिंग की ही देन हैं। अब क्योंकि मेक इन इंडिया जैसी अनेक योजनाएं चल रही हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में इंजीनियर की मांग भी बढ़ रही है। 

इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए योग्यता -  अगर आप में इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाने की इच्छा है तो बी.टेक. या बी.ई कर सकते हैं। मान्यता प्राप्त संस्थान से ये डिग्री लेने के बाद आप सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इंजीनियरिंग क्षेत्र के कुछ प्रमुख ब्रांच - 

ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग -  इस सेक्टर में विकास बहुत तेजी से हो रहा है। नए डिजाइन बनाने और उसे मूर्तरूप देने में ऑटोमोबाइल इंजीनियर की मांग रहती है। 

सिविल इंजीनियरिंग -  इंफ्रास्ट्रक्चर आदि में निर्माण कार्य के लिए तकनीक को समझने के लिए सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स किया जाता है। इसमें ईमारत आदि की प्लानिंग और डिजाइनिंग की जाती है। निर्माण के मानकों का ध्यान रखा जाता है। 

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग -  इस क्षेत्र में जाने के लिए फिजिक्स और कैमिस्ट्री के साथ या तो मैथ्स होनी चाहिए या फिर बायोलॉजी। खेती में नए तकनीक का उपयोग हो रहा है। इस भौतिक ज़रूरत को पूरा करने के लिए एग्रीकल्चर इंजीनियर की आवश्यकता होती है। 

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग -  टूरिज्म, व्यापार और रक्षा में एरोनॉटिक्स का अहम रोल होता है। इस ब्रांच में एरोनॉटिक्स के साथ स्पेस टेक्नोलॉजी के बारे में भी बताया जाता है। 

जेनेटिक इंजीनियरिंग -  J.N.U. में M.Sc. (जेनेटिक इंजीनियरिंग) का कोर्स उपलब्ध है। जेनेटिक इंजीनियरिंग करने के बाद देश विदेश की दवा कंपनियों, एनिमल हसबेंडरी, पर्यावरण आदि में रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं। इसमें अनुसन्धान की भी अपार संभावनाएं हैं। 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग -  इस ब्रांच का विभिन्न सेक्टर में बहुत योगदान है चाहे वह थर्मल सेक्टर हो या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग हो या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग हो या कोई अन्य। इसलिए रोज़गार की अपार सम्भावना वाली इस ब्रांच की मांग सदा रहती है। 

कैमिकल इंजीनियरिंग -  मेडिसिन, कीटनाशक, पेंट्स, फ़र्टिलाइज़र, पेट्रोलियम आदि अनेक सेक्टर हैं जहाँ इस इंजीनियरिंग का प्रयोग होता है। इसमें भी जॉब्स की प्रबल संभावाएं हैं। 

माइनिंग इंजीनियरिंग -  खनिज पदार्थों को साफ़ करना, उनका रख-रखाव, खदानों का प्रबंधन इसमें शामिल होता है। स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया, कोल इंडिया लिमिटेड जैसी अनेक संस्थाएं हैं, जहां इस क्षेत्र में रोज़गार उपलब्ध होते हैं। 

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग -  इसके लिए देहरादून स्थित पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी से भी कोर्स किया जा सकता है। इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, एच.पी.सी.एल., ओ.एन.जी.सी. आदि में ऐसे इंजिनियर की मांग बनी रहती है। 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग -  टी.वी., एयर-कंडीशनर, रेफ्रीजिरेटर आदि प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है। अत: इस क्षेत्र में कुशल इंजीनियर की आवश्यकता होती है। रेलवे, टेलीकम्यूनिकेशन जैसे क्षेत्र में भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की मांग रहती है। 

कंप्यूटर इंजीनियरिंग -  इसमें दो प्रकार के आप्शन होते हैं - हार्डवेयर इंजीनियर और सॉफ्टवेर इंजीनियर। देश विदेश के सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में कंप्यूटर इंजीनियर की मांग सदैव रहती है। आप अपनी कंपनी भी बना सकते हैं। 

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग -  टेलिकॉम सेक्टर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग बहुत होता है। इसके अलावा एविएशन और अन्य उद्योगों में भी इनका यूज़ होता है। इसके लिए 4 वर्षीय बी.टेक./बी.ई. कोर्स होता है। 

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