देश के कई ऐसे संस्थान हैं जो कृषि इंजीनियरिंग में बीटेक और बीएससी कराते हैं। पढ़ाई के दौरान छात्रों को खेती-किसानी और टेक्नोलॉजी के बारे में भी बताया जाता है। हालांकि, अगर आप कृषि क्षेत्र में इंजीनियरिंग करना चाहते हैं तो आपकी मैथ और फिजिक्स अच्छी होनी चाहिए।
अगर आपका कॉमर्स अच्छा है तो आप कृषि अर्थशास्त्री के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इस फील्ड के अभ्यर्थियों को लाखों रुपए की सैलरी भी मिलती है। कृषि अर्थशास्त्री का मुख्य काम कृषि से जुड़ों मुद्दों के वित्त प्रबंधन के बारे में आंकड़ें प्रस्तुत करना। बजट आदि सत्र के दौरान सरकार की तरफ से भी इनकी मदद ली जाती है।
फर्म मैनेजर की नौकरी फिलहाल अभी मेट्रो शहरों और विदेशों में है। इस क्षेत्र में नौकरी करने वाले प्रोफेशनल्स किसी फर्म को मैनेज करना होता है। साथ ही फर्म मैनेजर का काम होता है कि वह उत्पाद या फिर प्रोडक्ट को बेचकर मैनेजर को फायदा दिला सकें।
कृषि विश्लेषक कृषि उत्पादों, फसलों और कृषि नीतियों के बारे में विशेषज्ञ होते हैं। वे उत्पादन प्रक्रिया, जलवायु परिवर्तन, बाजार विश्लेषण आदि की गहन जानकारी रखते हैं और इस जानकारी का उपयोग कृषि कंपनियों, सरकारी विभागों या विश्वविद्यालयों में करते हैं।
कृषि उत्पादों की बिक्री, विपणन और ब्रांडिंग से संबंधित नौकरियां भी उच्च मान्यता प्राप्त होती हैं। इसमें उत्पाद की प्रमुखताओं का पता लगाना, मार्केट रिसर्च करना, मार्केटिंग की रणनीतियाँ तैयार करना, उत्पाद की वैश्विक पहचान बढ़ाना आदि शामिल होता है।
कृषि वैज्ञानिक ऐसे तरीके विकसित करते हैं, जो मिट्टी के उपयोग को बेहतर बनाने के साथ ही फसल उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं. इसमें फसलों और मिट्टी से जुड़े रिसर्च किए जाते हैं, जैसे- मिट्टी की उर्वरा क्षमता की बहाली,
इस क्षेत्र में डिग्री के साथ, आप फ्लोरीकल्चरिस्ट (फूलों की खेती), ओलेरिकल्चरिस्ट (सब्जियों की खेती), लैंडस्केपिंग (वाणिज्यिक या आवासीय उद्यानों और पार्कों की डिजाइनिंग और रखरखाव), विटीकल्चरिस्ट (अंगूर की खेती), पोमोलॉजिस्ट (फलों की खेती) जैसे करियर को अपना सकते हैं.
एग्रीकल्चरल सेल्सपर्सन कृषि संबंधी उत्पादों, जैसे- फार्म मशीनरी, पशु चारा, उर्वरक और बीज बेचते हैं. एक एग्रीकल्चरल सेल्सपर्सन से अपने उत्पाद के एक्सपर्ट होने की उम्मीद की जाती है.