अपने उत्तर को प्रमाणित करने का प्रयास करें - आंसर राइटिंग के दौरान ध्यान दें कि आप अपने आंसर में जो लिखते हैं उसे प्रमाणित भी करें। ऐसा करने से आपके आंसर में वैधता अधिक होगी। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको आंसर राइटिंग में बेहतर अंक प्राप्त होंगे।
आसान भाषा का इस्तेमाल करें - आंसर लिखते समय यह ध्यान रखें कि आप जो भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं वो बेहद साधारण हो और आम बोलचाल वाला हो। आपका लेखन आसान, क्लियर और कंप्लीट होना चाहिए। भारी और टेक्निकल शब्दों के इस्तेमाल से बचें।
प्रेजेंटेशन का ख्याल रखें - आंसर राइटिंग के समय प्रेजेंटेशन का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। साफ-सुथरी हैंडराइटिंग के साथ ही जहां जरूरी हो वहां हेडिंग और सब हेडिंग दें। इसके अलावा टेबल और डाटा का इस्तेमाल भी अपने आंसर में रखें। ऐसा करने से आपके आंसर की क्वालिटी में भी सुधार आएगा।
पूरा सिलेबस कवर करें - सिलेबस को व्यापक रूप से कवर किया जाना चाहिए. किसी भी हिस्से को हल्के में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, चाहे पिछले रुझान कुछ भी हों. यूपीएससी का सिलेबस बड़ा है और परीक्षा में किसी भी विषय से सवाल आ सकता हैं, इसीलिए पूरे सिलेबस को अच्छे से पढ़ना बेहद जरूरी है. परीक्षा में प्राचीन भारत से कई सवाल आते हैं.
मॉक टेस्ट की मदद लें - सिलेबस को कवर करने के बाद, मॉक टेस्ट को प्रैक्टिस किया जाना चाहिए. मॉक की संख्या वाजिब होनी चाहिए. बहुत सारे टेस्ट आपकी कीमती ऊर्जा को खत्म कर देंगे और बहुत कम संख्या आपको परीक्षा के लिए तैयार नहीं कर सकेगी.
प्रॉपर रिवीजन करें - प्रीलिम्स का सिलेबस काफी बड़ा और बिखरा हुआ है. कवरेज से अधिक, संपूर्ण सिलेबस को रिवाइज करना महत्वपूर्ण है. इसलिए, रिवीजन उचित और समयबद्ध दोनों होना चाहिए. सिलेबस के कवरेज और कवर किए गए हिस्से के रिवेजन में एक अच्छा संतुलन होना चाहिए.
नोट्स बनाएं - बिना उचित नोट्स बनाए यूपीएससी के सिलेबस को गुणवत्ता के साथ कवर नहीं किया जा सकता. नोट्स एक उचित प्रारूप में बनाए जाने चाहिए ताकि उम्मीदवारों के लिए इसे याद रखना और पुन: प्रस्तुत करना आसान हो.
एक महीने पहले नए विषय को एक्सप्लोर करने से बचें - प्रीलिम्स से पहले का आखिरी महीना किसी भी नए विषय को कवर करने के लिए नहीं दिया जाना चाहिए जब तक कि यह अत्यंत और असाधारण रूप से महत्वपूर्ण न हो. आखिरी के महीने को विशेष रूप से रिवीजन के लिए रखा जाना चाहिए.