UPSC एग्जाम में क्यों सफल हो रहे है इंजीनियरिंग के छात्र?

सीएसएटी को इस परीक्षा में टेक्नोक्रेट्स की सिफारिश पर टेक्निकल बेकग्राउंड के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए शामिल किया गया है। सीएसएटी का सारा ढांचा जीमेट, कैट, एक्सएटी और एमबीए एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर तैयार किया गया है। जिसके कारण ही जो स्टूडेंट इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आए हैं उनके चयन का प्रतिशत एकदम से बढ़ गया है।

सम्मानजनक और वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रशासनिक सेवा की तरफ परमानेंट बढ़ रहे हैं। इसी तरह का रूझान आज के समय में बैंकिंग के क्षेत्र में भी नजर आ रहा है। यहां पर भी बड़ी संख्या में इंजीनियर्स जॉब कर रहे हें। 

कंपटीशन इंजीनियरिंग के छात्रों के रग-रग में बहता है। वे इंजीनियरिंग में भी कॉम्पीटिटीव एक्जॉम देकर ही पहुंचते हैं। उन्हें इस तरह की परीक्षाओं का पूरा अनुभव होता है। इनमें से कई सारे जेईई और आईआईटी से निकले हुए होते हैं। अच्छे कॉलेजों में भी एंट्रेंस एग्‍जाम होता है, इसलिए ये छात्र कंपटीशन के लिए हर समय तैयार रहते हैं।  

इंजीनियरिंग छात्रों का नजरिया एकदम पिन-पॉइंट और गोल बेस्‍ड होता है। इसलिए वे परीक्षा की तैयारी को भी वैज्ञानिक तरीके से करते हैं। साफ शब्‍दों में कहा जा सकता है कि वे सिलेबस और परीक्षा के पैटर्न को बेहतर तरीके से समझने में सफल होते हैं। 

सफलता की तकनीक, परीक्षा का पैटर्न और पढ़ाई करने के तरीके वे यह एग्‍जाम देने से पहले ही अपने ग्रेजुएशन लेवल पर सीख चुके होते हैं। 

आईएएस की मुख्य परीक्षा के लिए अमूमन इंजीनियरिंग के विद्यार्थी भी ह्यूमैनिटी से ही विषय चुनते हैं। इससे उन्हें दो तरफा फायदा होता है, तकनीकी के विषय की गहरी समझ होने से ह्यूमैनिटी के विषयों को समझने में उन्‍हें आसानी तो होती ही है, साथ ही रीजनिंग और एप्टीट्यूड जैसे विषय भी वे आसानी से समझ पाते हैं।  

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