UPSC  एग्‍जाम में क्‍यों सफल हो रहे हैं इंजीनियरिंग के छात्र? ये रही वजह

सीएसएटी प्रमुख कारणों  में से एक - इस ट्रेंड का सबसे पहला और प्रमुख कारण जो नजर आता है, वह सीएसएटी(सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूट टेस्ट) है। इसे यूपीएससी ने 2011 में लागू किया है। जिसकी वजह से इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का इस तरफ रूझान बढ़ा है। 

इंजीनियरिंग के फील्‍ड  में जॉब्‍स की कमी - देश के हर क्षेत्र में आज इंजीनियरिंग कॉलेज मौजूद हैं, इन कॉलेजों से हर साल निकलने वाले लाखों युवाओं के लिए उतनी संख्‍या में जॉब नहीं मिल पाता है इसके आलावा जो छात्र कैंपस सिलेक्शन के माध्यम से रोजगार पाते हैं, उन्हें भी यहां उतना पैसा नहीं मिल पाता है, जितना विदेशों में काम कर रहे उनके जैसे इंजीनियर्स को मिलता है। 

ह्यूमैनिटी से ऐच्छिक विषय  लेने की सुविधा - आईएएस की मुख्य परीक्षा के लिए अमूमन इंजीनियरिंग के विद्यार्थी भी ह्यूमैनिटी से ही विषय चुनते हैं। इससे उन्हें दो तरफा फायदा होता है, तकनीकी के विषय की गहरी समझ होने से ह्यूमैनिटी के विषयों को समझने में उन्‍हें आसानी तो होती ही है, साथ ही रीजनिंग और एप्टीट्यूड जैसे विषय भी वे आसानी से समझ पाते हैं। 

इस परीक्षा में कंपटीशन का अनुभव - कंपटीशन इंजीनियरिंग के छात्रों के रग-रग में बहता है। वे इंजीनियरिंग में भी कॉम्पीटिटीव एक्जॉम देकर ही पहुंचते हैं। उन्हें इस तरह की परीक्षाओं का पूरा अनुभव होता है। इनमें से कई सारे जेईई और आईआईटी से निकले हुए होते हैं। 

गोल पर फोकस - इंजीनियरिंग छात्रों का नजरिया एकदम पिन-पॉइंट और गोल बेस्‍ड होता है। वे सिलेबस और परीक्षा के पैटर्न को बेहतर तरीके से समझने में सफल होते हैं। दूसरी ओर ह्युमैनिटी के स्टूडेंट का दृष्टिकोण ज्यादा एनालेटिकल होता है। उनका सिलेबस और एग्जामिनेशन पैटर्न ज्यादा रेफरेंस सेंट्रिक होता है। इसलिए वे प्रतियोगी परीक्षा में पिछड़ जाते हैं। 

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