रिवीजन जल्दी शुरू करें
प्रभावी रिवीजन कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे जल्दबाजी में किया जा सके। आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे और आप जितने अधिक ऑर्गनाइज्ड होंगे, आपकी सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होगी। आपको तनाव का सामना कम करना होगा।
अपने सिलेबस को देखें और तय करें कि आप क्या रिवीजन करने जा रहे हैं। अपनी परीक्षा के फॉर्मेट का पता लगाएं क्योंकि यह निर्धारित करेगा कि आपको कितने सिलेबस को रिवीजन करने की आवश्यकता है। निबंध-आधारित परीक्षाओं के लिए I
एक प्लान बनाएं, ब्रेक भी लें
एक विस्तृत रिवीजन टाइम टेबल तैयार करें, जिसमें नोट्स भी शामिल हों जिन्हें आपको देखने की जरूरत होगी। जितना हो सके इस पर टिके रहें। प्रभावी रिवीजन का मतलब निरंतर रिवीजन करते रहना नहीं है। रिवीजन के दौरान ब्रेक लेने से मस्तिष्क को यह याद रखने का अधिक मौका मिलता है कि आपने क्या पढ़ा है।
एक तरीका खोजें जो आपके लिए काम करे
फ्लैशकार्ड्स, पिछले पेपर्स, माइंड मैप्स, ग्रुप वर्क सहित कई रिवीजन तकनीकें हैं जिसे आप अपने लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। आपके लिए कौन सा तरीका कारगर है, यह अपने हिसाब से तय करें। ध्यान रखें कि एक परीक्षा के लिए जो तरीका अच्छा काम करता है वह दूसरी परीक्षा के लिए भी सबसे अच्छा तरीका हो यह जरूरी नहीं।
हेल्दी भोजन खाएं, नियमित एक्सरसाइज करें
अपने रिवीजन टाइम में बेस्ट करने के लिए खूब पानी पीना और संतुलित भोजन करना सबसे अच्छा है। एक्सरसाइज से आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। दोस्तों के साथ टीम स्पोर्ट्स खेलने या यहां तक कि अच्छी सैर करने से अधिक ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचेगी और इसे बेहतर ढंग से काम करने में मदद करेगी।
फोन से बनाएं दूरियां
बोर्ड परीक्षा (Board Exam) में अच्छे अंक लाने के लिए कभी भी किसी भी विषय को बिल्कुल भी रटें नहीं, समझने की कोशिश करें. वरना सवाल के मामूली बदलाव पर सवाल आपको समझ ही नहीं आ पाएगा .छात्र ऐसे प्रश्नों को देख कर घबरा जीते हैं.इसलिये विषय को समझें
याद करने के साथ रिवीजन जरूर करें
एग्जाम की तैयारी में रिवीजन का रोल बहुत अहम होता है. आप चाहे कितना भी पढ़ लें लेकिन अगर आपने समय-समय पर उसका रिवीजन नहीं किया तो आप उसे भूल भी सकते हैं. एग्जाम की बेहतर तैयारी के लिए विषयों का रिवीजन करना बहुत जरूरी है.इसलिए कम समय में भी उसे नियमित तौर पर दोहराते रहें.
जानें कैसे बनाएं नोट
छात्र कठिन और आसान अध्याय को बराबर का समय दें.बहुत से छात्र आसान अध्याय को पहले पढ़ते हैं और जो उन्हें कठिन लगता है उसे बाद के लिए छोड़ देते हैं,ऐसा बिल्कुल न करें. ऐसे में होता यह है कि कठिन अध्याय के लिए समय कम मिलता है जिसकी तैयारी छात्र सही तरीके से नहीं कर पाते हैं.