कॉमनिकेशन गैप को मिटाने के लिए लोग लैंग्वेज कोर्स करते हैं. ऐसे लोग जो की भाषा को दूसरे को समझा सकें. यानि की ट्रांसलेटर. लैंग्वेज कोर्स में नई भाषा का ज्ञान दिया जाता है. ताकि संचार बना रहे.
अगर हम किसी फॉरेन लैंग्वेज (या किसी भारतीय भाषा में भी) में एक्सपर्ट हो जाते हैं तो हम टीचर, प्रोफेसर, ट्रांसलेटर, इंटरप्रेटर, कंटेंट राइटर, कॉपी राइटर, स्क्रिप्ट राइटर या एडिटर आदि के प्रोफेशन में शानदार करियर बना सकते हैं.
अगर आप एक अच्छा करियर बनाना चाहते हैं तो पहले रिसर्च कर लें की मौजूदा वक्त में किस लैंग्वेज की डिमांड ज्यादा है. भारत में मेंडरिन चाइनीज, फ्रेंच, जर्मन और जापानी लैंग्वेज की मांग सबसे ज्यादा है.
भारत में बड़ी संख्या में इंस्टीट्यूट्स और कॉलेज विभिन्न फॉरेन लैंग्वेजेज में शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कोर्सेज ऑफर करते हैं. भारत में ये फॉरेन लैंग्वेज कोर्सेज सर्टिफिकेट लेवल, डिग्री/ डिप्लोमा लेवल, मास्टर डिग्री और पीएचडी लेवल तक उपलब्ध हैं.
हमारे देश में विभिन्न फॉरेन लैंग्वेजेज से जुड़े सभी पेशेवरों को आकर्षक सैलरी पैकेजेज ऑफर किये जाते हैं.
ये सैलरी पैकेजेज प्रत्येक कंपनी, ऑफिस या संगठन अपनी लैंग्वेज नीड्स और जॉब प्रोफाइल्स के मुताबिक निर्धारित करता है.
भारत में फॉरेन लैंग्वेज कर औसतन 5 से 6 लाख रुपये कमा लेता है. अगर आप टूरिज्म इंडस्ट्री में जाते हैं तो घंटे के हिसाब से भी कमा सकते हैं.
ट्रांसलेटर के तौर पर काम कर के भी महीना का 30 से 40 हजार रुपये असानी से कमा सकते हैं. मीडिया संस्थानों के साथ भी जुड़ना एक अच्छा विकल्प होगा. इससे आपका कनेक्शन भी तेजी से बढ़ेगा.