इन बॉन्ड को कोई भी खरीदकर अपनी मनपसंद पार्टी को दे सकता था, जिसके पास एक ऐसा बैंक खाता हो और जिसकी केवाईसी की जानकारियां उपलब्ध हों.
इलेक्टोरल बॉन्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता था. इलेक्टोरल बॉन्ड को साल में चार बार- जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किया जाता था.
साल में चार बार 10-10 दिन के लिए इन बॉन्ड को जारी किया जाता था. कोई भी व्यक्ति या कॉर्पोरेट हाउस इन बॉन्ड को खरीद सकता था.
बॉन्ड मिलने के बाद 15 दिन के भीतर राजनीतिक पार्टी को इन्हें अपने खातों में जमा कराना होता था. कानूनन, राजनीतिक पार्टियां ये बताने के लिए बाध्य नहीं थी.