कौन सी नौकरी है बेहतर- सरकारी या प्राइवेट? 

सरकारी नौकरी या प्राइवेट?

आज बहुत से युवा बड़े कंफ्यूज रहते हैं कि टाइम निकालकर सरकारी नौकरी की तैयारी करनी चाहिए या प्राइवेट नौकरी करके उसी में आगे बढ़ने का रास्ता खोजना चाहिए. यहां हम आपको दोनों ही नौकरी के फायदे और नुकसान बताने जा रहे हैं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दोनों में से कौन सी नौकरी ज्यादा बेहतर है.. 

कम्पटीशन

आज लगभग हर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता है. कोई भी वैकेंसी निकलती है, करोड़ों युवा लाइन में खड़े हो जाते हैं, इसीलिए इसमें कम्पटीशन भी बहुत ज्यादा बढ़ चुका है, प्राइवेट नौकरी लगने में टाइम बहुत कम लगता है. आज आपका इंटरव्यू हुआ और कल जॉइनिंग हो गई. लेकिन इसके लिए भी कम तैयारी नहीं करनी पड़ती, क्योंकि प्राइवेट नौकरी के लिए एक से बढ़कर एक टैलेंटेड युवा बैठे हैं, जो किसी भी तरह एंपलॉयर को इंप्रेस करना चाहते हैं. 

एक बार परीक्षा

सरकारी नौकरी में भले ही एक बड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है, लेकिन ये परीक्षा एक बार ही होती है. उसके बाद हमारा किसी से कोई कम्पटीशन नहीं रह जाता, लेकिन प्राइवेट नौकरी में आपका कम्पटीशन रोज अपने सहकर्मियों के साथ रहता है. यहां रोज परीक्षा होती है. यहां आप तब तक ही बने रह सकते हैं, जब तक आप दूसरों से बेहतर काम कर रहे होते हैं. 

जॉब सिक्योरिटी

सरकारी नौकरी को पसंद किए जाने की सबसे बड़ी वजह कि इसमें ‘जॉब सिक्योरिटी’ है. आपको आसानी से नौकरी से निकाला नहीं जा सकता. यही प्राइवेट नौकरी की सबसे बड़ी कमी है. ये नौकरी तभी तक है, जब तक काबिलियत है, काम करने की क्षमता है और काम करने का मन है. 

सैलरी

सरकारी नौकरी में सैलरी निश्चित रहती है. एक निश्चित समय पर ही बढ़ती है. आप चाहे जितना काम करें और चाहे जितनी अपनी काबिलियत बढ़ा लें, लेकिन प्राइवेट नौकरी में ऐसा नहीं है. यहां न तो सैलरी निश्चित है और न ही सैलरी बढ़ने का टाइम. शुरुआत में आपकी सैलरी कम हो सकती है, लेकिन अगर कुछ ही दिनों में आप अपने बॉस को अपने काम से इंप्रेस कर लेते हैं, या जहां बॉस को ये लगता है कि उसे आपकी जरूरत है या उसे आपसे बेहतर कोई मिल ही नहीं सकता तो आप की सैलरी बढ़ने में भी बिल्कुल टाइम नहीं लगता. 

ट्रांसफर

सरकारी नौकरी में आपका ट्रांसफर कहीं भी किया जा सकता है और आपको वहां जाकर काम करना ही पड़ेगा. कई लोगों को ये परेशानी होती है कि वह हमेशा से शहरी वातावरण में रहे हैं और उनकी पोस्टिंग गांव में कर दी गई. प्राइवेट में आप कहीं भी कभी भी अप्लाई कर सकते हैं. चाहे तो अपने ही शहर में और चाहे तो अपने से बड़े शहर में. उसी पर, अगर व्यक्ति काबिल हो तो हो सकता है कि उसे जल्द ही विदेश जाने का मौका भी मिल जाए. 

वर्क प्रेशर

सरकारी नौकरी में काम के घंटे निश्चित रहते हैं. अगर 8 घंटे फिक्स किए गए हैं तो कोई आपसे यह नहीं कहेगा कि आप 8 घंटे से ज्यादा काम कीजिए. हालांकि ऐसा सभी पदों पर नहीं होता. कुछ सरकारी पद ऐसे हैं, जिनमें काम भी कठिन होता है, साथ ही कभी भी कहीं भी तैनाती के लिए बुलाया जा सकता है. वहीं, प्राइवेट नौकरी में काम के घंटे तो ज्यादा होते ही हैं, साथ ही कभी-कभी ओवरटाइम भी करना पड़ सकता है. 

छुट्टियां

सरकारी नौकरी को पसंद करने की एक और वजह कि भारतीय कैलेंडर में जितनी भी छुट्टियां होती हैं, सरकारी नौकरी में वे सभी मिलती हैं. लेकिन ऐसा सभी पदों में नहीं होता. वहीं, प्राइवेट नौकरी में छुट्टियां तो कम मिलती ही हैं, बल्कि कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि छुट्टियों वाले दिन ही ज्यादा काम करना पड़े, जैसे कि मीडिया में. 

सुविधाएं

सरकारी नौकरी में पद के अनुसार कई सुविधाएं मिलती हैं. जैसे अगर आप बीमार पड़ जाते हैं तो किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल इंस्टिट्यूट या हॉस्पिटल से इलाज कराने का खर्च आपको नहीं उठाना पड़ता. लेकिन प्राइवेट में सुविधाएं कम ही मिलती हैं या मिलती ही नहीं हैं और अगर मिलती भी हैं तो ये इस पर निर्भर करता है कि आप किस कंपनी में किस पद पर काम कर रहे हैं. 

बॉस का व्यवहार

एक और सबसे बड़ी वजह जिसके लिए लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं, वह ये कि सरकारी नौकरी में किसी सनकी बॉस का बुरा व्यवहार नहीं झेलना पड़ता, लेकिन प्राइवेट नौकरी में कभी-कभी बहुत कुछ देखना पड़ता है और सहन करना पड़ता है. कुछ बॉस अपने कर्मचारियों के साथ बहुत ही भद्दे तरीके से पेश आते हैं. 

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