IIT JEE की तैयारी के लिए 10th के बाद ही क्यों करें कोचिंग इंस्टिट्यूट जॉइन? 

परफॉरमेंस -  कई छात्रों का अकादमिक स्तर JEE की तैयारी के अनुसार अच्छा नहीं होता है तथा बहुत से ऐसे बेसिक कॉन्सेप्ट्स होते हैं जिन्हें अच्छी तरह से समझना बहुत ज़रूरी होता है। 

बेसिक कॉन्सेप्ट्स क्लियर होता है - जो छात्र कक्षा 10वीं के बाद JEE की तैयारी करना शुरू करते हैं उन्हें अपने बेसिक कॉन्सेप्ट्स को ठीक करने का पूरा मौका मिलता है। 

स्ट्रोंग पॉइंट्स पर ध्यान दे सकते हैं -  छात्र आसानी से अपने सभी विषयों की कमजोरियों को दूर कर सकते हैं और अपने स्ट्रोंग पॉइंट्स को और भी स्ट्रोंग कर सकते हैं। 

रिविज़न के लिए ज्यादा समय मिलना -  छात्र कक्षा 11वीं से शुरुवाती तौर पर ही अपने सभी टॉपिक्स के नोट्स अच्छी तरह तैयार कर सकते हैं। जिस कारण एग्जाम के दौरान रिविज़न के लिए समय भी ज्यादा मिलता है। 

सिलेबस कवर करना -  IIT JEE की परीक्षा में कक्षा 11 और कक्षा 12 के सिलेबस से प्रश्न पूछे जाते हैं, विद्यार्थी 2 वर्षों में आसानी से पूरा सिलेबस कवर कर सकते हैं। 

फ्रेशर छात्रों के IIT एग्जाम में उत्तिर्ण होने की संभावना अधिक -  हमेशा यह देखा गया है कि ड्राप आउट छात्रों की तुलना में फ्रेशर छात्रों की JEE Main और JEE Advanced दोनों परीक्षा में उत्तिर्ण होने की संभावना ज्यादा होती है। 

सेल्फ स्टडी के द्वारा JEE की तैयारी पर अच्छी पकड़ बना लेना -  छात्र कक्षा 11वीं से ही अपनी क्लास की पढ़ाई के साथ-साथ किसी अच्छे कोचिंग इंस्टिट्यूट से या सेल्फ स्टडी के द्वारा JEE की तैयारी पर अच्छी पकड़ बना लेते हैं जिस कारण उनके पास पूरा समय होता है। 

आत्मविश्वास -  जब कोई छात्र कक्षा 10वीं के बाद से ही अपनी तैयारी को पूरा समय देना शुरू करता है तो जैसे-जैसे वह अपने लक्ष्य के समीप आता जाता है उसका आत्मविश्वास भी और बढ़ता जाता है। 

कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ता है -  जब एक छात्र अपनी तैयारी को पूरा समय देता है तो उसे पता होता है कि उसकी एग्जाम की तैयारी कैसी है और वह एग्जाम में कितना अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, तो Early preparation छात्रों के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाती है। 

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