IAS ट्रेनिंग के बाद इन भूमिकाओं के लिए रहें तैयार

क्या है एक आईएएस ऑफिसर की भूमिका -  आईएएस ऑफिसर के रोल यानी भूमिका उन्हें दिए जाने वाले असाइनमेंट यानी फील्ड, पीएसयू और सेंट्रल सेक्रेटेरियट पर निर्भर करता है।

फील्ड असाइनमेंट -  एक आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग आमतौर पर एक फील्ड असाइनमेंट होता है। विभिन्न स्तरों पर वे अनेक चुनौतियों के साथ काम करते हैं।

सब डिविजनल फंक्शन -  एक एसडीएम के रूप में, कानून और व्यवस्था का रखरखाव, सब डिविजन के भीतर विकास और प्रशासनिक गतिविधियों की देखरेख करना भी आईएएस ऑफिसर के रोल के रूप में पहला स्थान रखता है।

जिला स्तर के कार्य -  एक डीएम, कलेक्टर व डिप्टी कमिश्नर के रूप में, जिला स्तर पर एक एसडीएम के समान कार्य करते हैं और उनकी भूमिका में एसडीएम की निगरानी भी करते हैं।

आईएएस अधिकारियों के लिए स्टेट सेक्रेटेरिएट में भूमिका -  अधिकांश आईएएस अधिकारियों के लिए फील्ड असाइनमेंट आमतौर पर जिला स्तर पर खत्म होते हैं। उनमें से कई राज्य सरकार के भीतर पदों पर जाते हैं और स्टेट सेक्रेटेरिएट में कार्य करते हैं।

स्टेट सेक्रेटेरिएट -  स्टेट सेक्रेटेरिएट की पोस्टिंग में निर्वाचित प्रतिनिधियों को नीतियां बनाने और सरकारी प्रक्रियाओं के संबंध में निर्णय लेने की सलाह देने के लिए अपने क्षेत्र में प्राप्त अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।

पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग -  कई अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर पीएसयू कैडर में तैनात हो जाते हैं और विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे बिजली स्टेशनों, औद्योगिक इकाइयों आदि के उच्च प्रबंधन का हिस्सा बन जाते हैं।

आईएएस ऑफिसर की शक्तियां -  

भारतीय दंड संहिता (IPC) की दंड प्रक्रिया संहिता (Code Of Criminal Procedure, 1973) के अनुसार धारा 107,108,109,110,133,144 और 176 एक मजिस्ट्रेट को दी गई कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शक्तियों को सूचीबद्ध करती है।

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट आपदा राहत कार्यों के दौरान मुख्य सचिवों और मजिस्ट्रेटों की शक्तियों को सूचीबद्ध करता है।

आर्म्स एक्ट, ड्रग लाइसेंस एक्ट, आवश्यक वस्तु अधिनियम आदि विशेष स्थितियों में लगाए जाने वाले नियमों के विषयआईएएस ऑफिसर के अधिकारियों की शक्ति की सूची बनाते हैं।

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