ग्रेजुएशन केबाद सीधे कर सकते हैं पीएचडी 

एमफिल का कोर्स निरस्त कर दिया गया है -   राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एम फिल को खत्म करने की सिफारिश की गई है। साथ ही 4 वर्षीय अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की गई है। इन्हीं प्रावधानों को ध्यान में रखकर यूजीसी ने पीएचडी के नियमों में बदलाव किया है।

विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम होगा -  नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा 1 वर्ष में सर्टिफिकेट और कोर्स पूरा करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।

7.5 या इससे अधिक सीजीपीए लाने वाले छात्र की ही होगी पात्रता -  यूजी पाठ्यक्रमों में 7.5 या इससे अधिक सीजीपीए लाने वाले छात्र ही पीएचडी एडमिशन के लिए पात्र होंगे। हालांकि जिन छात्रों ने 7.5 से कम सीजीपीए प्राप्त किया है उन्हें 1 वर्षीय मास्टर डिग्री हासिल करनी होगी।

नए नियम आगामी सत्र 2022-23 से होंगे लागू -  यह नए नियम आगामी सत्र 2022-23 से लागू किए जा सकते हैं। यूजीसी ने इस नए प्रावधान को लेकर कहा है कि उसका उद्देश्य शोध को बढ़ावा देना है।

लॉ और मेडीकल कॉलेजों को छोड़कर सभी संस्थानों में एक ही नियम -  कानून और चिकित्सा कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही नियामक द्वारा संचालित होंगे। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे।

पांचवी तक मातृभाषा या स्थानीय भाषा का इस्तेमाल -  पांचवी तक पढ़ाई के लिए मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि जीडीपी का छह फीसदी शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43 फीसदी है।

ग्रेजुएशन की डिग्री 3 या 4 साल में पूरी होगी -  नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी। एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा।

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