किसी भी परीक्षा की तैयारी से पहले आवश्यक है कि उस विषय में डिटेल जानकारी इकट्ठा कर लें। अगर आप नीट में भाग लेना चाहते हैं तो पहले नीट का पेपर पैटर्न, प्रश्नों के प्रकार और जरूरी किताबों जैसी जानकारी जुटा लें।
परीक्षा के विषय में जानने के बाद अगली बारी पेपर पैटर्न को जानने की आती है। पेपर पैटर्न को जानने और समझने के लिए पिछले वर्ष के प्रश्न-पत्रों को पढ़ लें। अगर आप ऐसे करते हैं तो आप यह जान पाएंगे कि परीक्षा में किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
अगर आप अभी स्कूल में हैं और नीट की तैयारी करना चाहते हैं तो पढ़ने के लिए टाइम टेबल बनाना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि आपको नीट के साथ-साथ अपनी स्कूली परीक्षा की तैयारी के लिए भी पढ़ना होगा।
आपने अक्सर टॉपर को यह कहते हुए सुना होगा कि प्रश्न एनसीईआरटी से पूछे जाते हैं। यही कारण है कि आपको अपनी तैयारी की शुरुआत एनसीईआरटी से ही करनी चाहिए। एनसीईआरटी सभी परीक्षाओं का बेस है और इसकी तैयारी से आगे से ज्यादा प्रश्न सॉल्व किए जा सकते हैं।
छात्र इस बात का खास ख्याल रखें कि पिछले 10 सालों के प्रश्न-पत्रों की मदद से बेहतर तैयारी की जा सकती है। पिछले वर्ष के प्रश्न-पत्र से पता चल पाएगा कि कौन-से विषय अधिक जरूरी हैं और किस सेक्शन से अधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं।
जब आपका सिलेबस एक बार पूरा हो जाए तो फिर मॉक टेस्ट पर फोकस करें। मॉक टेस्ट से आपको अपनी तैयारी को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इससे आप प्रश्न पत्र हल करने में लगने वाले समय को कम कर सकेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, एक सप्ताह में दो से तीन मॉक टेस्ट देना काफी फायदेमंद रहता है।
भारत में एमबीबीएस प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को अर्हक परीक्षा में कम से कम 50% अंक प्राप्त करने चाहिए। एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए, आवश्यक न्यूनतम अंक 40% हैं।
कई बार परिस्थितियों के अनुसार आपको अपने भाव को आगे रखकर मरीज़ की बात को गहराई से समझने की आवश्यकता पढ़ती है जिसमे आपके भाव को महसूस करने की प्रक्रिया को तीव्र होना माईने रखता है। तो एक डॉक्टर को इमोशनल इंटेलिजेंस का इस्तमाल करना ज़रूरी है।