बीए/ बीएससी इन साइकोलॉजी/ एप्लाइड साइकोलॉजी - यदि आप काउंसलिंग के क्षेत्र में और बेहतर करियर बनाना चाहते हैं तो ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर काउंसलर बना जा सकता है।
एमए/ एमएससी साइकोलॉजी/ एप्लाइड साइकोलॉजी/ काउंसलिंग साइकोलॉजी - काउंसलिंग के क्षेत्र में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त कर भी करियर को नई दिशा दी जा सकती है।
एमएड इन गाइडेंस साइकोलॉजी - एम एड की डिग्री हासिल कर काउंसलिंग के क्षेत्र में करियर की दिशा को नई उड़ान दी जा सकती है।
एमएससी इन साइकोलॉजिकल काउंसलिंग/ काउंसलिंग एंड साइकोथेरेपी - एमएससी करने के बाद भी काउंसलिंग के क्षेत्र में कार्य किया जा सकते है।
एमफिल इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग -एमफिल करने के बाद आप काउंसलिंग के क्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं।
पीजी डिप्लोमा इन काउंसलिंग साइकोलॉजी/ गाइडेंस एंड काउंसलिंग/ साइकोलॉजिकल काउंसलिंग - अगर आप ग्रेजुएशन नहीं भी करना चाहते तो आप केवल पीजी डिप्लोमा भी कर सकते हैँ और काउंसलर बन सकते हैं।
काउंसलर बनने के लिए जरूरी स्किल्स -
एक्टिव लिसनिंग स्किल्स -यदि आप काउंसलर बनना चाहते हैं तो आपकी लिसनिंग स्किल्स बेहतर होना जरूरी है। यह एक काउंसलर के लिए बेहद जरूरी गुण है।
धैर्य बनाए रखना आवश्यक - चाहे कोई भी विषम परिस्थिति क्यों ना हो काउंसलर में स्थिति संभालने की काबिलियत होनी चाहिए।
नॉन जजमेंटल व्यवहार - काउंसलर को कभी किसी की परिस्थिति के अनुसार उसे जज नहीं करना चाहिए और काउंसलर का यह बेसिक गुण है कि वह अपने क्लाइंट के साथ नॉन जजमेंटल व्यवहार करें।
लोगों की परेशानियों में इंटरेस्ट -काउंसलर बनने के लिए यह आवश्यक है कि आप लोगों की परेशानियों को सुनें और उनका निवारण करें।
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