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NCERT Solutions Class 11 Hindi Antra Chapter 6
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Ch 6
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NCERT Solutions Class 11 Hindi Antra Chapter 6
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NCERT answers for class 11 Hindi Antra chapter 6 include a variety of instructive examples to aid students in understanding and learning. The examples above are from the CBSE syllabus for class 11.
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1.जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसा बीता?
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन दहशत तथा अदृश्य डर में बीता था। सभी इस डर में जी रहे थे कि न जाने कब सूबेसिंह आएगा और फिर मार-पिटाई का दौर चल पड़ेगा।
2.’ईंटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-पिट जैसे मन में पसरी दुश्चिंताओं और तकलीफ़ों की प्रतिध्वनियाँ थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’ – यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करता है
यह वाक्य मानो के मन की दुविधाग्रस्त तथा कष्ट की स्थिति को दर्शाता है। मानो सदैव अपने भविष्य के लिए चिंतित रहती थी। वह सदैव अनिश्चितता, कष्ट तथा तकलीफों के बारे में सोचती रहती थी। ये बातें उसके मन में विद्यमान थीं। जैसे जलती लकड़ियों के मध्य चिट-पिट की आवाज़ होती है, वैसे ही उसके मन में उठने वाली अनिश्चितता, कष्ट तथा तकलीफें धीरे-धीरे उभरती रहती थीं। ये सभी उसके मन में छोटे रूप में विद्यमान थीं। वे अभी तक ज्वाला का रूप धारण नहीं कर पाई थी।
3.मानो अभी तक भट्ठे की ज़िंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?
4.’खुद के हाथ पथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक ख्याल कौंधा था।’ वह क्या ख्याल था जो मानो के मन में बिजली की तरह कौंधा? इस संदर्भ में सुकिया के साथ हुए उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
सुकियाः (हैरानपूर्वक) पगली दो-चार पैसे से पक्की ईंटों का घर नहीं बनता है। इसके लिए हमें बहुत-सा पैसा चाहिए।
मानोः (भोलेपन से) दूसरों के लिए जब हम ईंटें बनाते हैं, तो अपने घर के लिए भी ईंटें बना सकते हैं।
सुकियाः (समझाते हुए) हम भट्ठे के मालिक के लिए काम करते हैं। ये सब ईंटें उसकी हैं।
मानोः (दुखी होकर) हम बहुत मेहनत करेंगे और पैसे जोड़कर अपने लिए घर बनाएँगें। इसके लिए हम रात-दिन मेहनत करेंगे।
सुकियाः अच्छा ठीक है। ऐसा ही करेंगे।
दोनों को जीवन का उद्देश्य मिल गया था।
5.असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?
सूबे सिंह की मानो पर बुरी नज़र थी। अतः उसने असगर ठेकेदार को मानो को बुलाने के लिए कहा। जब असगर ठेकेदार ने यह बात मानो तथा सुकिया को कही, तो सुकिया क्रोधित हो उठा। स्थिति भाँपकर जसदेव ने फैसला किया कि वह मानो के स्थान पर सूबे सिंह के पास जाएगा। जब सूबे सिंह ने देखा कि मानो नहीं आई है और उसके स्थान पर जसदेव आया है, तो वह बिफर पड़ा। मानो का सारा गुस्सा उसने जसदेव पर निकाल दिया। उसने जसदेव को बहुत बुरी तरह मारा।
6.’सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज़ अँधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज़ उसके कानों को फाड़ रही थी।’- प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।
व्याख्या- मानो जब रात को बनाई अपनी ईंटों की दुर्दशा देखती है, तो ज़ोर-ज़ोर के रोने लगती है। वे पति-पत्नी बहुत प्रयास करते हैं। सूबेसिंह हर बार उस पर पानी फेर देता है। अब उनके सहने की सीमा समाप्त हो गई है। उनकी बनाई सारी ईंटें तोड़ दी गई हैं। मानो की आँखों से तकलीफ आँसू बनकर गिरने लगती है। हताश मानो को सुकिया रोते हुए देखता है। मानो की आँखों से गिरते हुए आँसुओं को वह तेज़ अँधड़ों के समान देखता है। मानो के हृदय में उठने वाला दर्द, वह अपने ह्दय में महसूस करता है। वह समझ जाता है कि यदि वह यहाँ से नहीं गया, तो जो आगे होगा वह उचित नहीं होगा।
7.’खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की निम्नलिखित समस्याओं को रेखांकित किया गया है-
(क) किसानों का जीविका चलाने के लिए गाँवों से पलायन।
(ख) मज़दूरों का शोषण तथा नरकीय जीवन।
(ग) जातिवाद तथा भेदभाव भरा जीवन।
(घ) स्त्रियों का शोषण।
8.’चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’ – सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए
9.निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए- (पृष्ठ संख्या 78)
(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था- पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
(घ) फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो…..मेरी खातिर पिटे…..फिर यह बामन म्हारे बीच कहाँ से आ गया….?
(ङ) सपनों के काँच उसकी आँख में किरकिरा रहे थे।
(ख) सुकिया, मानो को कहता है कि घर बनाना आसान काम नहीं है। इसके लिए बहुत सारे नोटों की आवश्यकता होती है। इस समय हमारे पास इतने पैसे नहीं है। हमारी ऐसी ही स्थिति है कि हाथ में पैसा नहीं है और हाथी खरीदने की इच्छा रखते हैं।
(ग) मानो तथा सुकिया मज़दूर थे। वे ठेकेदार द्वारा दी गई झुगियों में रहती थे। मानो के मन में अपना घर बनाने का सपना जन्म लेने लगा था। वह अपने लिए एक पक्का घर चाहती थी। अपने घर में वह अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाना चाहती थी तथा अपने बच्चों के लिए छत चाहती थी।
(घ) मानो, जसदेव को खाना देने जाती है। वह उसके हाथ की बनाई रोटी खाने से मना कर देता है। उसकी यह हिचक निकालने के लिए सुखिया कहती है कि तुम हमारे साथ रात-दिन काम करते हो। मुझे बचाने के लिए तुमने मार भी खाई है। ऐसे में जब हम सब एक हो चुके हैं, तो हमारे बीच में जाति कहाँ से आ जाती है। अर्थात तुम ब्राह्मण हो या हम चमार इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम अब एक ही हैं।
(ङ) जिस प्रकार काँच के टूटने पर उसके छोटे टुकड़े आँख में जाने से तकलीफ देते हैं, वैसे ही मानो के सपनों टूट कर उसकी आँखों को तकलीफ दे रहे थे। उसने सोचा था कि खूब मेहनत करेगी और पक्की ईंटों का एक छोटा-सा घर बनाएगी। वह सपना टूट कर चकनाचूर हो चूका था। उसके कारण उसकी आँखें रो-रोकर काट रही थीं।
10.नीचे दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
भट्ठे के उठते काले धुएँ ……………. ज़िंदगी का एक पड़ाव था यह भट्ठा।
व्याख्या- भट्ठे से काला रंग का धुआँ निकल रहा था। उस धुएँ ने आकाश में काली चादर बिछा दी थी। ऐसा लगता था मानो और सुकिया के आकाश रूपी सपने पर भट्ठे के मालिक सूबेसिंह के अत्याचारों ने पानी फेर दिया है। उसके अत्याचारों के आगे न झूकते हुए दोनों ने भट्ठा छोड़ने का फैसला किया। वहाँ से चलते हुए बहुत देर हो चूकी थी। भट्ठा अब बहुत पीछे छूट गया था। उनकी स्थिति उन खानाबदोशों की तरह थी, जो खाने की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक भटकते रहते थे। उन्हें अब एक घर चाहिए था, जिसमें वे सिर छिपा सकें। अब पीछे याद रह गई थीं। ये वो यादें थीं, जिनमें उनका किया परिश्रम था। उन्हें इस परिश्रम के स्थान पर पुरस्कार मिलना चाहिए था लेकिन आज उन्हें भूला दिया गया था। उन्हें मज़बूर कर दिया गया कि वे अपमानजनक जीवन जिएँ या फिर भट्ठा छोड़कर चले जाएँ। दोनों ने सम्मानपूर्वक जीवन चुना और भट्ठा छोड़ दिया। आज यह भट्ठा उनके खानाबदोश जीवन का पड़ाव मात्र बनकर रह गया था। उन्होंने सोचा था कि वे यहाँ पर अपने जीवन को साकार रूप देंगे पर ऐसा नहीं हुआ। अच्छे जीवन की तलाश में वे आगे चल पड़े।
11.अपने आसपास के क्षेत्र में जाकर ईंटों के भट्ठे को देखिए तथा ईंटें बनाने एवं उन्हें पकाने की प्रकिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
12.भट्ठा-मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
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- Chapter 1 – Idgah
- Chapter 2 – Dopeher Ka bhojan
- Chapter 3 – Torch Bechnewale
- Chapter 4 – Gunge
- Chapter 5 – Jyotiba Phule
- Chapter 7 – Naye ki janm kundali: ek
- Chapter 8 – Uski Maa
- Chapter 9 – Bharatbarsh ki unnati kaise ho sakti hai?
- Chapter 10 Poem – Kabeer
- Chapter 11 Poem – Surdas
- Chapter 12 Poem – Hasi ki Chot Sapna Darbar
- Chapter 13 Poem – Padmakar
- Chapter 14 Poem – Sandhya Ke Baad
- Chapter 15 Poem – Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Asu Ujle
- Chapter 16 Poem – Neend Uchat Jaati Hai
- Chapter 17 Poem – Badal Ko Ghirte Dekha Hai
- Chapter 18 Poem – Hastaksep
- Chapter 19 Poem – Ghar Me Waapsi
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