NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 Sana Sana Hath Jodi: Have you solved all the 10th Hindi Kritika Chapter 3 questions?
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 Sana Sana Hath Jodi
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Sana Sana Hath Jodi Question Answer Class 10 Hindi Kritika Chapter 3
1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर:- झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को अपनी ओर इस तरह सम्मोहित कर रहा था कि लेखिका को ऐसा लग रहा था मानो आसमान उल्टा पड़ा हो और सारे तारे नीचे बिखरकर टिमटिमा रहे हों। उन जादू भरे क्षणों में लेखिका का सबकुछ स्थगित था, उन्हें सब कुछ अर्थहीन महसूस हुआ और उनके भीतर-बाहर शुन्य व्याप्त हो गया। वे सभी इंद्रियों से परे उस जादुई रोशनी में डूब गई।
2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?
उत्तर:- गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहो का शहर’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वहां के सभी लोग मेहनती और परिश्रमी हैं। उन्होंने इस पर्वतीय स्थल को अपनी मेहनत के बल पर इतना खूबसूरत और सुगम बना दिया है कि वहां की सुबह, शाम, दिन, रात -सभी मनमोहक होते हैं।
3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर:- जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तब उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएं पहरा दी जाती है। ये श्वेत पताकाएं शांति और अहिंसा के प्रतीक है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत में रंगीन पताकाएं लगा दी जाती है, जो अच्छे शगुन की प्रतीक होती है।
Sana Sana Hath Jodi Question Answer Class 10 Hindi Kritika Chapter 3
1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर:- झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को अपनी ओर इस तरह सम्मोहित कर रहा था कि लेखिका को ऐसा लग रहा था मानो आसमान उल्टा पड़ा हो और सारे तारे नीचे बिखरकर टिमटिमा रहे हों। उन जादू भरे क्षणों में लेखिका का सबकुछ स्थगित था, उन्हें सब कुछ अर्थहीन महसूस हुआ और उनके भीतर-बाहर शुन्य व्याप्त हो गया। वे सभी इंद्रियों से परे उस जादुई रोशनी में डूब गई।
2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?
उत्तर:- गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहो का शहर’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वहां के सभी लोग मेहनती और परिश्रमी हैं। उन्होंने इस पर्वतीय स्थल को अपनी मेहनत के बल पर इतना खूबसूरत और सुगम बना दिया है कि वहां की सुबह, शाम, दिन, रात -सभी मनमोहक होते हैं।
3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर:- जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, तब उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएं पहरा दी जाती है। ये श्वेत पताकाएं शांति और अहिंसा के प्रतीक है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत में रंगीन पताकाएं लगा दी जाती है, जो अच्छे शगुन की प्रतीक होती है।
7. इस यात्रा-वृतांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- इस यात्रा-वृतांत में लेखिका ने हिमालय के पल-पल बदलते रूप का वर्णन किया है। वे जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रही थी, वैसे-वैसे हिमालय बड़ा होकर विशालकाय होने लगा, घटाएं गहराती-गहराती पाताल नापने लगी, वादियां चौड़ी होने लगी और चारों ओर सघन हरियाली की गुफा बन गई। वहां का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। चारों ओर आसमान को छूते पर्वत शिखर थे, झरने बह रहे थे और नदी किनारे चिकने पत्थर इठला रहे थे। वहां का सौंदर्य पराकाष्ठा पर था। रात के समय ऐसा लग रहा था मानो हिमालय ने काला कंबल ओढ़ लिया हो। लेखिका ने वहां जाकर प्रकृति की अद्भुत जल संचय की व्यवस्था को देखा और उन्हें इस पर आश्चर्य हुआ।
8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर:- प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका मौन हो गई और चारों ओर बिखरी उस असीम सुंदरता को देखकर वे एक ऋषि की तरह शांत हो गई। वे उस परिदृश्य को अपने भीतर समेट लेना चाहती थी। उस मनमोहक और आश्चर्यचकित कर देने वाले दृश्य को देखकर लेखिका रोमांचित व पुलकित हो उठी। लेखिका इस सबमें इतना खो गई कि स्वयं को एक चिड़िया के पंख की भांति हल्का महसूस करने लगीं। वे हर छोटी-छोटी चीज को ध्यान से देखने व प्रत्येक हलचल को अपने भीतर महसूस करने लग गईं।
9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर:- प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को सड़क किनारे बैठकर पत्थर तोड़ती महिलाओं का दृश्य झकझोर गया। उन्होंने देखा कि अद्वितीय सौंदर्य से निरपेक्ष कुछ पहाड़ी औरतें वहां के रास्तों को सुगम बनाने के लिए पत्थर तोड़ रही थी उनकी हाथ और काया आरटीसी कोमल थी और उन्होंने अपनी पीठ पर बंधी टोकरी में अपने बच्चों को बांध रखा था। वे मातृत्व और श्रम साधना एकसाथ कर रही थी। उनके कोमल हाथों में कुदाल और हथौड़ा व उनसे पड़े ठाठे देखकर लेखिका को जीवन की कठिनाई और समाज में इन लोगों की भूमिका का अहसास हुआ।
10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
उत्तर:- सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में निम्नलिखित लोगों का योगदान होता है-
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सरकार द्वारा प्रदान की गई व्यवस्थाओं
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पर्यटन स्थलों की देखरेख करनेवालों व वहां की साफ-सफाई करनेवालों
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उन्हें घुमाने-फिराने वाले गाइड
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उनके साथ आए उनके मित्रों
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उनकी सुरक्षा का ध्यान रखनेवालों
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पर्यटन स्थल के स्थानीय लोगों
11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर:- देश की आम जनता देश के विकास और उसकी आर्थिक प्रगति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के मजदूर वर्ग वाले लोग बहुत कम पैसे लेकर छोटे-छोटे काम करते हैं, जो बहुत अधिक महत्व रखते हैं। इन्हीं मजदूर वर्ग वाले लोगों के कारण हर क्षेत्र से जुड़े छोटे-मोटे काम संपन्न हो पाते हैं और व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल पाते हैं। जैसे लेखिका ने बताया है कि यूमथांग के रास्ते में मजदूर औरतें पत्थर तोड़कर रास्तों को सुगम बना रही थी, उनके इस कार्य से वहां का परिवहन सुधार रहा था, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ रही थी और इसके परिणामस्वरूप हमारे देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही थी।
12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आप की क्या भूमिका होनी चाहिए।
उत्तर:- आज की पीढ़ी प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रही है और प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर उसके साथ खिलवाड़ कर रही है। हम निम्नलिखित तरीके अपनाकर इसे रोकने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं-
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प्राकृतिक संसाधनों का सही प्रयोग करके।
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ज़्यादा से ज़्यादा वृक्षारोपण करके
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प्लास्टिक जैसी हानिकारक चीजों का प्रयोग न करके
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निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करके
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प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रयोग करके
13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
उत्तर:- आज मनुष्य की गतिविधियों और विज्ञान के दुरुपयोग के कारण प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया है, जिससे पृथ्वी का वातावरण में बदलाव आ रहा है। इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम सामने आए हैं-
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ओजोन लेयर नष्ट हो रही है।
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हवा अशुद्ध हो रही है।
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वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
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नदियों के जल का स्तर और भूजल स्तर घट रहा है।
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तरह-तरह की नई बीमारियां उपज रही है।
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पशु-पक्षियों की नस्लें विलुप्त हो रही हैं।
14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
उत्तर:- ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। हम इस कथन से पूरी तरह सहमत हैं, क्योंकि कटाओ हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड है और बहुत ही सुंदर व मनमोहक जगह है। यह जगह अभी तक टूरिस्ट स्पॉट नहीं बनने के कारण अपनी प्राकृतिक स्वरूप में ही है। अगर यहां दुकानें खुल जाए और लोगों का आना-जाना शुरू हो जाए, तो बहुत जल्द ही यह स्थान भी बाकी पर्यटन स्थलों की तरह अपनी प्राकृतिक सुंदरता को देगा; क्योंकि गंदगी फैलाना और वातावरण को प्रदूषित करना आजकल की जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। हमारी पीढ़ी प्रकृति के लाय, ताल और गति से खिलवाड़ कर रही है।
15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर:- प्रकृति ने जल संचय की अद्भुत व्यवस्था कर रखी है। प्रकृति हर साल सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संचित कर लेती है और गर्मियों के समय में तपती धूप और गर्मी से परेशान, त्राहि-त्राहि करते जीव-जंतुओं के लिए इन्हीं बर्फ की बड़ी-बड़ी शिलाओं को पिघलाकर जलधारा के रूप में, नदियों के माध्यम से पानी पहुंचाती है। वहां से बहता हुआ अतिरिक्त पानी विशाल समुद्र में जाकर मिल जाता है जो बाद में बादलों का रूप ले लेता है। नदियों के किनारे बसे इलाकों में लोग नदियों के पानी को उपयोग में लेते हैं और रेगिस्तानी व मैदानी इलाकों में समुद्र का पानी बादलों के रूप में पानी पहुंचा देता है।
16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर:- हमारे देश की सीमा पर बैठे फौजी विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी हमारी सुरक्षा के लिए दिन-रात डटे रहते हैं। वे ठंडे इलाकों, जहां पर तापमान माइनस में चला जाता है और रेगिस्तानी इलाकों, जहां असहनीय तपती धुप पड़ती है, वहां रहकर दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं।
उनके प्रति हमारा उत्तरदायित्व है कि हम उनको और उनके परिवार को उचित सम्मान दें। हमारे देश के वीर सैनिकों को उनके परिवार से दूर रहना पड़ता है, इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके परिवार का ध्यान रखें, उनकी हरसंभव सहायता करें और उन्हें अकेलेपन व निराशा से दूर रखें; ताकि हमारे देश के सैनिक पूरी तरह आश्वस्त होकर अपना कर्तव्य निभा सकें।
What will you learn in Kritika Chapter 3?
In NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 Sana Sana Hath Jodi, you will know about the capital city of Sikkim and the Himalayas ahead of it. An amazing and poetic description of the infinite beauty of the Himalayas has been done by the author. The specificity of female travel can also be seen in this travelogue.
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Most Important CBSE NCERT 10th Hindi Kritika Solutions
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FAQs on NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3
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