रेफरल कल्चर हायरिंग -
वर्तमान में रेफरल कल्चर हायरिंग का हिस्सा बन गया है। कंपनियां रेफरल कैंडिडेट्स को हायर करने में दिलचस्पी दिखाती हैं। इसके जरिए उन्हें कम मेहनत में उम्दा कैंडिडेट्स मिल जाते हैं और उनका हायरिंग प्रॉसेस आसान हो जाता है।
नए स्किल्स की डिमांड -
आज के दौर में वर्कप्लेस पर नए स्किल्स की डिमांड बढ़ रही है। वर्किंग कल्चर में उन्हें ज्यादा अहमियत दी जाती है, जो अपने जॉब प्रोफाइल से हटकर स्किल डिवेलप करते हैं।
सही प्लानिंग, पॉजिटिव अप्रोच -
करियर के सफर में सही तरीके से हर मोड़ पर सही फैसला लेना बहुत जरूरी होता है। सही प्लानिंग, पॉजिटिव अप्रोच के साथ बढ़ने पर ही मंजिल को आसानी से हासिल किया जा सकता है।
कम्यूनिकेशन के तौर तरीकों को सीखना और अमल में लाना -
आपको लगता है कि आप अपने करियर और पर्सनैलिटी में यहां पर कमी महसूस कर रहे हैं, तो आप नए सिरे से अपने कम्यूनिकेशन को बेहतर करने के लिए पहल कर सकते हैं।
नए स्किल से अपडेट करना -
कई कंपनियां ऐसी हैं, जो अपने एंप्लॉयर को स्किल को निखारने की सुविधा मुहैया करा रही हैं। आप निश्चित रूप से ऐसे अवसर का फायदा उठाएं।
रिस्क लेना सीखें -
कंपनियां जब बड़े इन्वेस्ट करती हैं, तो उन्हें ऐसे लोगों की तलाश होती है, जो उनके इरादों को सफल बनाएं। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप आगे बढ़े और ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश करें।
नेटवर्क करें स्ट्रॉन्ग -
अगर आप अपने पूर्व सहयोगियों और दोस्तों के साथ टच में रहते हैं, तो इससे आपको जॉब में अच्छे अवसर मिलते हैं। वैसे भी ऑफिस से बाहर लोगों के साथ मिलना और उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताना अच्छी आदत होती है।
टेक्नॉलजी में महारत हासिल करना -
वर्कप्लेस पर प्रॉडक्टविटी को बढ़ाने के लिए कंपनियां स्मार्टफोन और नए ऐप यूज कर रही हैं। ऐसे में टेक्नॉलजी में होने वाले बदलावों के अनुसार खुद को अप टू डेट रखना जरूरी हो गया है।
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