(Lab Technician Course) को क्लिनिकल साइंस कोर्स (Clinical Science Course) भी कहा जाता है. यह कोर्स करने के बाद ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, बायो केमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी लैब्स में नौकरी मिल सकती है लैब टेक्नीशियन को शुरुआत में 12 हजार से 14 हजार के बीच सैलरी दी जाती है फिर अनुभव के आधार पर सैलरी बढ़ती जाती है.
इस सर्टिफिकेट के जरिए किसी भी लैब में आसानी से नौकरी हासिल की जा सकती है. लेकिन लैब टेक्नीशियन कोर्स करने के बाद सीधे नौकरी नहीं मिलती है (Lab Technician Jobs). उससे पहले इंटर्नशिप करना अनिवार्य है. इस कोर्स की फीस काफी कम होती है.
लैब टेक्नीशियन का काम मरीजों का सैंपल लेना होता है. वे मरीजों का ब्लड सैंपल, यूरीन सैंपल आदि लेने के बाद उसकी रिपोर्ट तैयार करते हैं.उस रिपोर्ट के आधार पर ही डॉक्टर मरीज का इलाज करते हैं.
किसी भी रोगी की सर्जरी करने में सर्जन का अहम रोल होता है। सर्जरी के दौरान OT Technician ही डॉक्टर की मदद करता है। इसलिए ओटी टेक्नीशियन काफी महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। दिन- प्रतिदिन नए- नए हॉस्पिटल और नर्सिंग होम खुलते जा रहे हैं। इन हॉस्पिटल में डॉक्टर की मदद के लिए OT Technician की जरूरत होती है।
आज के समय में ईसीजी टेक्नीशियन की मांग ज्यादा बनी हुई है, ईसीजी तकनीशियनों के लिए नौकरी की रिक्तियां अधिक हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों ईसीजी तकनीशियनों की भर्ती करते हैं और मांग में और वृद्धि होने का अनुमान है। वेतन 5000 रुपये से 25000 रुपये के बीच हो सकता है
डेंटल मैकेनिक्स में डिप्लोमा दंत चिकित्सा के क्षेत्र में 2 साल का कौशल आधारित कार्यक्रम है। इसे 10+2 पूरा करने के बाद आगे बढ़ाया जा सकता है। यह छात्रों को पूर्ण डेन्चर, आंशिक डेन्चर, फिक्स्ड ब्रिज, डेंटल टेक्नोलॉजी और संबंधित उपकरणों के संचालन के क्षेत्रों में पढ़ाता है।
फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम पेशेवर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम हैं जिनका उद्देश्य रोगी की गतिशीलता को बहाल करने के लिए तकनीकों और उपचारों को सिखाना है। दूसरी ओर, भारत में मुश्किल से लगभग 5000 पंजीकृत फिजियोथेरेपिस्ट हैं। नतीजतन, भारत में लगभग 95,000 फिजियोथेरेपिस्ट की मांग है।
रेडियोग्राफी में डिप्लोमा एक 2-3 साल का स्नातक स्तर का कार्यक्रम है, जो पैरामेडिकल स्ट्रीम में पेश किया जाता है। यह प्रमुख बीमारियों और आंतरिक अंगों के अन्य कष्टों और नग्न आंखों को दिखाई नहीं देने वाले वर्गों के निदान से संबंधित है। छात्र इस पाठ्यक्रम में एक्स-रे, फ्लोरोस्कोपी, सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड), एंजियोग्राफी, एमआरआई (चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग), सीटी स्कैन और कई अन्य तकनीकों और उपकरणों का उपयोग सीखते हैं।