अनौपचारिक पत्र - अनौपचारिक पत्र अपने माता-पिता, जानने वाले, दोस्तों या सगे संबंधियों के लिए लिखा जाता है। ये पत्र पूरी तरह से निजी या व्यक्तिगत होते हैं।
अनौपचारिक पत्र के प्रकार - इस प्रकार के पत्रों में बधाई पत्रों में शुभकामना पत्र, निवेदन पत्र, संवेदना/सहानुभूति/सांत्वना पत्र, नाराजगी/खेद पत्र, सूचना/वर्णन संबंधी पत्र, निमंत्रण पत्र, आभार-प्रदर्शन पत्र, अनुमति पत्र, सुझाव/सलाह पत्र, क्षमायाचना एवं आश्वासन संबंधी पत्र आते हैं।
पत्र लेखक का पता - पत्र के सबसे ऊपर बाई ओर पत्र लेखक को अपना पता लिखना चाहिए। यदि छात्रों को परीक्षा भवन’ में पत्र लिखने के निर्देश दिए गए हैं, तो उन्हें अपना पता न लिखकर ‘परीक्षा ‘भवन’ तथा नगर का नाम, जहाँ परीक्षा हो रही है, लिख देना चाहिए।
दिनांक - पत्र लेखक को चाहिए कि पता लिखने के बाद ठीक उसके नीचे उस दिन का दिनांक लिखें I
संबोधन - अनौपचारिक पत्रों में ‘संबोधन’ का विशेष महत्व होता है क्योंकि पत्र पढ़ने वाला सबसे पहले इसी को पढ़ता है। इन संबोधनों के माध्यम से पत्र लेखक पाठक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है।
शिष्टाचार सूचक पदबंध/अभिवादन की उक्तियाँ - शिष्टाचार या अभिवादन के वाक्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि संबोधन किस प्रकार का है।
विषयवस्तु या मूल कथ्य - शिष्टाचार सूचक शब्दों के बाद पत्र की मूल विषयवस्तु आती है। इसे पत्र का कथ्य भी कहते हैं। इसके अंतर्गत लेखक वे सभी बातें, विचार आदि व्यक्त करता है, जिन्हें वह पाठक तक संप्रेषित करना चाहता है।
समापन निर्देश या स्वनिर्देश - कथ्य की समाप्ति के बाद पत्र के समापन की बारी आती है। पत्र-समापन से पहले आत्मीय जनों के विषय में पूछताछ, आदर-सम्मान आदि का भाव व्यक्त किया जाता है।
पत्र लेखक का नाम - ‘स्वनिर्देश’ के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना चाहिए। परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय नाम के स्थान पर ‘क०ख०ग/अ०ब०स’ आदि लिख सकते हैं।
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