सैलरी का है काफी महत्व - MBA ग्रेजुएट्स को भारत में अभी भी बेहतरीन सैलरी ऑफर की जा रही है तो इसलिए ही मैनेजमेंट अभी भी एक प्रोग्रेसिव करियर ऑप्शन है जिसे लाखों स्टूडेंट्स हर साल चुनते हैं।
बेहतरीन होता है सैलरी पैकेज - भारत के टॉप बी स्कूल से की जाने वाली MBA डिग्री निश्चित रूप से आपको बहुत अच्छे पैकेज वाली नौकरी दिला सकती है जिसकी कल्पना आप किसी अन्य डोमेन में नहीं कर सकते हैं।
टॉप बी स्कूल्स की है अभी भी काफी डिमांड - IM, SJMSM और XLRI जैसे भारत के टॉप MBA कॉलेजों से पास स्टूडेंट्स की संख्या अभी भी बहुत अधिक है, इससे यह पता चलता है कि मार्केट में अब भी MBA ग्रेजुएट्स के लिए जॉब के काफी बेहतरीन अवसर हैं।
टियर 2 इंस्टीट्यूट्स के पैकेजेज हुए हैं कुछ कम - यदि आप किसी भी 2 टियर के बी-स्कूलों में एडमिशन लेना चाहते हैं, तो मिलने वाले पैकेजों के संबंध में कुछ चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
पीपीओ का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है - इस साल, XLRI से पासिंग बैच को पेश किए जाने वाले पीपीओ की संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिली है जो भारत में MBA एजुकेशन के लिए एक शुभ संकेत है।
MBA वर्ल्ड में है बैंकिंग और फाइनेंस की फ़ील्ड्स की सुप्रिमेसी - बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर्स हमेशा अपनी सर्वोत्तम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी और प्रिसिपल्स पर निर्भर होने के कारण MBA कैंडिडेट्स के लिए बेहतरीन जॉब मार्केट उपलब्ध कराते हैं।
E-कॉमर्स और IT तथा FMCG का दुबारा बढ़ रहा है प्रभाव - इस साल इन दोनों सेक्टर्स ने MBA प्लेसमेंट सीजन में फिर से वापसी की है। कई IT मेजर्स और E-कॉमर्स दिग्गज ने टॉप बी-स्कूलों के प्लेसमेंट सेशन में भाग लिया।
पब्लिक सेक्टर भी कॉम्पीटीशन में हो गया है शामिल - SBI और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसे पब्लिक सेक्टर यूनिट्स ने भारत के टॉप बी-स्कूलों से MBA ग्रेजुएट्स की हायरिंग की काफी बड़ी संख्या में की है।
फर्स्ट टाइम रिक्रूटर्स भी हो रहे हैं मैनेजमेंट हायरिंग में शामिल - फर्स्ट टाइम रिक्रूटर्स ने भी IIM और अन्य टॉप MBA कॉलेजों के मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को हायर करने के लिए प्लेसमेंट सेशन में हिस्सा लिया जिनमे एडोब, अल्स्टोम, सिप्ला, कमिन्स और अन्य कई ब्रांड शामिल हैं।
स्टार्ट-अप्स नहीं हुए ज्यादा सफल - लगभग सभी MBA उम्मीदवार एंटरप्रेन्योर बनने तथा अपनी स्टार्ट-अप कंपनी खोलने का सपना जरुर देखते हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत के स्टार्ट-अप कल्चर ने कई असफलताएं भी देखी हैं।