मैथ्स का असर फजिकल डेवलपमेंट पर भी - मैथ्स का छात्रों पर शारीरिक और मानिसक रूप से भी असर पड़ता है। टीनएज बहुत खास उम्र होती है क्योंकि इस उम्र में ब्रेन का विकास होने के साथ सोचने-समझने की क्षमता भी डेवलप होती है।
मैथ्स को समझें - जिन लोगों को गणित पढ़ने में रुचि रहती है वे भी सुनी-सुनाई बातों के चलते मन में एक डर का भाव बना लेते हैं कि मैथ्स तो सबसे कठिन सब्जेक्ट है जिसे पढ़ने के लिए बहुत तेज दिमाग का होना जरूरी है।
स्टेप बाय स्टेप पढ़ें - मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे अचानक कहीं से आप पढ़ना शुरू करते हैं तो यह विषय जल्दी से समझ में नहीं आ सकता है। गणित पढ़ने की एक पूरी प्रक्रिया होती है जिसे फॉलो करके एक स्टेप से दूसरे स्टेप तक बढ़ते हुए मैथ्स को सीखा जाता है।
डेली प्रैक्टिस - जब आप मैथ्स सब्जेक्ट पढ़ते हैं तो पहले उस चैप्टर को अच्छी तरह से पढ़ें और समझ लें फिर जो सवाल हल किए गए हैं आखिर वे किस कॉन्सेप्ट से हले किए गए हैं यह अच्छी तरीके से समझने की कोशिश करें।
फॉर्मूले के आधार पर स्टडी - मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जो कि फॉर्मूले पर आधारित होता है। अगर इन फॉर्मूलों को सही से समझ पाते हैं तो फिर आसानी से गणित के सवालों को हल किया जा सकता है।
चेप्टर को ग्रुप और टाइप में बाट दें - सबसे पहले किसी भी प्रश्न में या किसी टॉपिक में करना क्या है के आधार पर सम्पूर्ण चेप्टर को ग्रुप और टाइप में बाट दें इससे आपको उस चेप्टर को पढ़ने में आसानी होगी |
कोई नया तरीका न अपनाये - कई कमज़ोर छात्र वैदिक मैथ्स या अबेकस की क्लासेज लेते हैं| एक कमज़ोर छात्र के लिए इन ऐसे तरीकों से बेहतर स्वभाविक रूप से कैलकुलेशन समझना आसान और सहज है|
प्रश्नों को वर्गीकृत कर हल करें - फ़ास्ट कैलकुलेशन के लिए ज़रूरी नहीं की आप बहुत सारे प्रश्न हल करें या सोचें इसके लिए केवल एक वेल प्लांड तरीका अपनाएं | प्रश्नों को वर्गीकृत कर हल करने की कोशिश करें|