एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कैसे करें और इसमें अपना भविष्य कैसे बनाएं

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग क्या होता है? - एयरोनॉटिकल के क्षेत्र में एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने की टेक्निक या लाइट केबल मशीन की स्टडी डिजाइन और निर्माण संबंधी कार्य आते हैं। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों को कमर्शियल या मिलट्री एयरक्राफ्ट मिसाइल और स्पेसक्राफ्ट के कंस्ट्रक्शन डिजाइन, टेस्टिंग और एनालिसिस से रिलेटेड ट्रेनिंग दी जाती है।

क्या है जरूरी योग्यता ? - जो भी छात्र एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं उन्हें 12वीं में कम से कम (PCM) फिजिक्स केमेस्ट्री मैथ में पास होना जरूरी है। बीटेक कोर्स के अंतर्गत छात्र एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई कर सकता है। इस इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम के लिए उम्मीदवार को 12वीं में कम से कम 60% मार्क्स प्राप्त करना आवश्यक है। 

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स - भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स हैं। जिसमें कक्षा 10 वीं और कक्षा 12 वीं के बाद क्रमशः 3 साल की अवधि वाला डिप्लोमा पाठ्यक्रम 12 वीं कक्षा के बाद 4 साल की अवधि वाला एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई व बीटेक और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद 4 साल की अवधि वाले पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम एमई व एमटेक शामिल है। एमई के पूरा होने के बाद 2 साल की अवधि वाले पीएचडी डॉक्टरेट डिग्री कोर्स भी कर सकते हैं।

एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया -  गर आपको एरोनॉटिकल इंजीनियर बनना है तो सबसे पहले आपको 12वीं में फिजिक्स और गणित विषय से अच्छे मार्क्स से पास होना आवश्यक है। अगर कैंडिडेट 12वीं में अच्छे मार्क्स लाकर पास हो जाता है तो उसके बाद उसे 3 वर्ष डिप्लोमा लेना आवश्यक है।

एग्जाम पैटर्न - इसके एंट्रेंस एग्जाम में कैंडिडेट से फिजिक्स केमेस्ट्री, मैथमेटिक्स क्वेश्चन पूछे जाते हैं। छात्रों से एंट्रेंस एग्जाम में ऑब्जेक्टिव किस्म के क्वेश्चन पूछे जाते हैं। यह बहुविकल्पी टाइप के होते हैं, जिसमें से आपको एक सही उत्तर का चयन करना होता है। एंट्रेंस एग्जाम की परीक्षा की अवधि 3 घंटे की होती है।

एग्जाम के लिए अप्लाई कैसे करें? - कैंडिडेट एंट्रेंस एग्जाम अप्लाई करने के लिए अपने एप्लीकेशन को आफलाइन या फिर ऑनलाइन मेथड से सबमिट कर सकता है। अगर कैंडिडेट ऑनलाइन मेथड से अपने एप्लीकेशन को सबमिट करना चाहता है तो वह यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट विजिट कर सकता है।

एरोनॉटिकल इंजीनियर के कार्य - एयरोनॉटिकल इंजीनियर आमतौर पर एयरक्राफ्ट को डिजाइन, डिवेलप और मेंटेन करने का कार्य करते हैं। इसमें वे एयरक्राफ्ट मेंटेन इंजीनियर और फ्लाइट मेंटेन टीम के साथ मिलकर अपने काम को अंजाम देते हैं।

करियर के अवसर - एयरोनॉटिकल इंजीनियर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा मंत्रालय में आसानी से नौकरियां पा सकते हैं। इसके अलावा एयरोस्पेस इंजीनियरों को संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे देशों में भी नौकरियां मिल सकती हैं। एयरोस्पेस इंजीनियरों की प्रतिष्ठित शोध केंद्रों जैसे नासा और एयरबस जैसे निजी कंपनियों में बहुत अधिक मांग है।

Download Best Aeronautical Engineering Books, Study Notes PDFs